अखिल भारतीय राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता: 2017-18

नई दिल्ली : दिल्ली के एन.डी.एम.सी. कन्वेंशन सेन्टर में देश की प्रतिनिधि सात रीजनल टीमों तथा दिल्ली के गणमान्य नागरिकों, समाजसेवी बन्धुओं को राष्ट्रपति जी ने संबोधित करते हुए हजारों विद्यालयों में समूहगान प्रतियोगिता के लिए परिषद् को बधाई दी। निरन्तर पचास साल से चल रहा यह अभियान अब लाखों बच्चों में देशभक्ति के संस्कार जगा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जन्मशताब्दी पर स्थापित परिषद् ने अपने स्वर्ण जयन्ती समूहगान को ‘राष्ट्र-आराधन’ का नाम देकर देश प्रेम के आदर्श को रेखांकित किया है तथा हिन्दी, संस्कृत, लोकगीतो की प्रतियोगिता करके एक बड़ा मंच प्रदान किया है।

देशभक्ति के गीतों की चर्चा में अमर गीत ‘झण्डा ऊँचा रहे हमारा’ गीत की याद आना स्वभाविक है। इस गीत में नौजवानों में देश प्रेम तथा आजादी की उमंग थी। यह गीत हमें भारत को ऊँचा स्थान दिलाने के लिए तन-मन-धन से जुड़ने की प्रेरणा देता है। इस गीत को सुनकर शिक्षक और विद्यार्थी नई ऊर्जा से काम करते हैं। सिपाही जोश के साथ कदमताल करते हैं। मजदूर थकान भूल जाते हैं। किसान अपनी फसलों का स्वागत करते हैं। हमें गीत के रचनाकार श्री श्यामलाल पार्षद (जो कानपुर के नरवल गाँव के निवासी थे) उनको भी स्मरण करना चाहिए। महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा देश प्राचीन काल से ही गणित, विज्ञान कला के क्षेत्र में योगदान करता रहा है। आशा करता हूँ कि परिषद् के प्रयासों से युवा पीढ़ी का गौरव और आत्म विश्वास की भावना मजबूत होगी। आधुनिक शिक्षा के साथ नैतिक जीवन मूल्यों को जीवन का आधार बनाना जरूरी है। शिक्षित होने के लिए केवल ज्ञान प्राप्त करना ही नहीं बल्कि नैतिक व्यक्तित्व का निर्माण जरूरी है।

समारोह पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होनें कहा कि परिषद् ने स्वस्थ, समर्थ और संस्कारित भारत का उद्देश्य रखा है। निर्धन एवं कमजोर वर्ग के लिए सहायता एवं विकलांग योजनाओं के साथ समग्र ग्राम विकास की योजना चलाई जा रही है। इन सब के लिए देश प्रेम की प्रेरणा, अशिक्षा असमानता की समस्याओं से जोड़ कर विजय प्राप्त कर सकते हैं। झण्डा गीत का उपयोग ग्राम नगर बस्ती में समूहगीत का प्रचार कर आगे बढ़ाने में प्रभावी सिद्ध हो सकता है। परिषद् के हजारो सदस्य परिवारों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति जी ने झण्डा गीत को गाकर दोहराने का कार्य सम्पन्न किया।

उद्बोधन से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सीताराम पारीक जी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। प्रतियोगिता में डी.ए.वी. स्कूल रायगढ़ (महाराष्ट्र) हिन्दी और संस्कृत गीतों में व लोकगीतों की प्रतियोगिता में डी.पी.एस. कलिंगा (उडीशा) की टीमो ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। विजेता टीमों को माननीय राष्ट्रपति एवं विजय कुमार शर्मा, चेयरमैन जीवन बीमा निगम ने ट्रॉफी प्रदान की। प्रतियोगिता के निर्णायक वरिष्ठ संगीत विशेषज्ञ श्री ज्वाला प्रसाद जी, प्रभात कुमार एवं आचार्य अभिमन्यु कुमार को राष्ट्रपति जी ने सम्मानित किया। प्रतियोगिता का संचालन श्रीमती शशि आजाद, डॉ. त्रिभुवन शर्मा राष्ट्रीय मंत्री ने किया। संयुक्त महामंत्री विनीत गर्ग ने आभार किया।

प्रतियोगिता के उद्घाटन अवसर पर राष्ट्रीय महामंत्री श्री अजय दत्ता एवं उपाध्यक्ष (उत्तर रीजन) श्री एस.के.वधवा ने परिषद् के उद्देश्यों और संकल्पना की विस्तृत चर्चा करते हुए सेवा के प्रकल्पों विकलांग सहायता एवं पुनर्वास केन्द्रों कोटा चिकित्सालय, चण्डीगढ़ डायग्नोस्टिक सेन्टर की जानकारी प्रस्तुत की। उद्घाटन अवसर पर विशिष्ट अतिथि लोकगायिका पद्मश्री श्रीमती मालिनी अवस्थी ने कहा कि युवाओं के विकास से ही भारत का विकास हो सकता है। देशभक्ति के गीतों को स्कूल, कॉलेज तथा डिग्री स्तर तक प्रचलित करना चाहिए। वर्तमान समय में देशभक्ति के गीतों का आकर्षण बन रहा है। मालिनी जी ने अपने अध्ययन काल में ‘हमारे पूर्वज’ पुस्तक का जिक्र किया और कहा कि इस पुस्तक से हम देश के महापुरुषों को याद करते थे। परिषद् के अपने पुराने रिश्तो को याद करते हुए उन्होंने मेरठ व वाराणसी में परिषद् के अनेक कार्यक्रमों का जिक्र किया। प्रतियोगिता के राष्ट्रीय चेयरमैन डॉ. शुभकरण जैन, राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन, संयोजक अशोक आजाद, श्री भूपेन्द्र मोहन भण्डारी, राष्ट्रीय वित्त मंत्री ओम प्रकाश कानूनगो तथा विशिष्ट अतिथि चेयरमैन पावर काॅर्पोरेशन लिमिटेड श्री राजीव शर्मा उपस्थित रहे।

समारोह में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आर.पी. शर्मा, पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, प्रो. सत्य प्रकाश तिवारी, श्री एस.पी. अग्रवाल, श्री नीधिश गुप्ता, संजीव मिगलानी, मदन मलिक, राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री चन्द्रसेन जैन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (उत्तर मध्य रीजन) केशव दत्त गुप्ता, प्रान्तीय अध्यक्ष दिल्ली दक्षिण के.आर.रामा मूर्ति, स्वदेशरंजन गोस्वामी (असम), जी.पी.सिंह (झारखण्ड), मणिपुर के सर्जन प्रो. राजेन्द्र सिंह, प्रभाकर सिंह, चेयरमैन एनआईटी, विजय गर्ग, चेयरमैन काउन्सिल आॅफ आर्किटेक्ट, पूर्व चेयरमैन ओएनजीसी श्री विनोद सर्राफ, उद्योगपति रमेश अग्रवाल, एल. नरसिंह राव व देश के विभिन्न टीमों के साथ आये पदाधिकारियों के अतिरिक्त मणिपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. प्रेमोजीत सिंह, न्यायमूर्ति कृष्णा राव, प्रान्त संघ चालक कुलभूषण आहूजा पुलिस कमिश्नर दीपेन्द्र पाठक एवं श्रीमती गीता पाठक आदि उपस्थित रहे। राष्ट्रपति जी ने मनीपुर के गृहसचिव प्रशासनिक अधिकारी एच. बाल कृष्ण सिंह (आईएएस) को सम्मानित किया। (Niti: Jan’18)

 

Forty Third All India National Group Song Competition of Bharat Vikas Parishad was held at New Delhi on the 10th December 2017.  President of India Shri Ram Nath Kovind was the Chief Guest at the event.

Speaking on the occasion, President Shri Ram Nath Kovind stressed on the need for a continuous communication with the future generations to keep the spirit of patriotism alive. Addressing the gathering at the 43rd edition of the National Group Song Competition of Patriotic Songs, organised by the Bharat Vikas Parishad, he said a strong and united country was built on a solid foundation of patriotic citizens. “In order to keep the spirit of patriotism alive, it is necessary to continue to communicate it with the future generations,” Shri Kovind said. 

He complimented the efforts of the Bharat Vikas Parishad in this regard. Shri Kovind congratulated the award winners and commended the half-a-million children who made the competition a virtual campaign by participating at various levels.

He also praised the Bharat Vikas Parishad for organising the competition for over 50 years and keeping the patriotic consciousness alive through it.  (News Agencies)

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द जी का सम्बोधन
1. देश-भक्ति की भावना से भरे गीतों को बहुत ही अच्छी तरह से प्रस्तुत करने और समूह-गान प्रतियोगिता में आज पुरस्कार प्राप्त करने के लिए, मैं इन तीनों समूहों के सभी बच्चों को बधाई देता हूं। साथ ही, मैं सभी पचास हज़ार विद्यालयों के उन पांच लाख बच्चों की भी सराहना करता हूं, जिन्होने विभिन्न स्तरों पर समूहगान प्रतियोगिता में भाग लेकर इसे एक अभियान का रूप दिया है।

2. पचास वर्षों से, समूहगान के आयोजन के जरिये, देश-प्रेम की चेतना का स्वर जगाते रहने के लिए मैं भारत विकास परिषद के सदस्यों की सराहना करता हूं। जब हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक बच्चे इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते रहे हैं तब हमें यह पता चलता है कि इस आयोजन की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं। देश-भक्ति से जुड़े इस आयोजन की सफलता हर भारतवासी के लिए बहुत ही खुशी की बात है।

3. भारतीयता की भावना को मजबूत बनाने के उद्देश्य सेस्वामी विवेकानंद की जन्म-शताब्दी के अवसर पर, सन 1963 में इस परिषद का गठन किया गया था। यह खुशी की बात है कि लगभग पचपन वर्षों से यह परिषद अपने उद्देश्य के प्रति समर्पित रहते हुए आगे बढ़ती रही है। इस वर्ष के आयोजन को “राष्ट्र-आराधन” का नाम देकर, आपने देश-प्रेम के आदर्श को रेखांकित किया है। संस्कृत, हिन्दी और लोक-भाषाओं में समूह-गान की प्रतियोगिता आयोजित करके आपने देश-भक्ति की भावना को व्यक्त करने का एक बहुत ही अच्छा मंच प्रदान किया है जहां परंपरा, आधुनिकता और देश की माटी से जुड़ी शैलियों में, राष्ट्रप्रेम की भावना मुखरित होती है। देश-प्रेम की अभिव्यक्ति को ऐसा मंच प्रदान करने के लिए मैं आप सबके प्रयासों की सराहना करता हूं।

4. देश-भक्ति के गीतों के बारे में सोचते हुए उस अमर गीत झंडा ऊंचा रहे हमारा, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा की याद आना स्वभाविक है। आज़ादी की लड़ाई के दौरान, यह गीत सुनकर हर भारतवासी रोमांचित हो जाता था। जब कोई समूह इस गीत को गाते हुए गलियों और सड़कों पर निकलता था तो लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल पड़ते थे और उस समूह में शामिल हो जाते थे। इस गीत को सुनकर सभी देशवासियों में देश के लिए त्याग और बलिदान की लहरें उमड़ने लगती थीं। आज भी यह गीत देश-प्रेमियों में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार करता है। उस समय यह गीत, एक विदेशी झंडे की जगह, हमारे तिरंगे को लहराने का संदेश देता था। आज यह गीत भारत को विश्व में ऊंचा स्थान दिलाने के लिए तन-मन-धन से जुटने की प्रेरणा देता है। यह गीत भारत को फिर से जगद्गुरू के रूप में स्थापित करने के लिए उत्साहित करता है।

5. इस झंडा-गीत में तिरंगे से जुड़ी एक पंक्ति है, “इसकी शान न जाने पायेचाहे जान भले ही जाये”।तिरंगे की शान के लिए बलिदान होने की भावना हमेशा ही सार्थक रहेगीक्योंकि पूरे विश्व में देश का गौरव निरंतर बनाए रखने के लिए हमें इसी भावना से आगे बढ़ते रहना होगा।झंडा-गीत जैसे समूह-गान, हम सबको एक सूत्र में बांधते हैं और एक खास तरह की हिम्मत और ताकत देते हैं। समूह-गान गाते हुए शिक्षक और विद्यार्थी नई ऊर्जा के साथ अपने दिन की शुरुआत करते हैं; सीमा पर तैनात सिपाही जोश के साथ कदम-ताल करते हैं; मजदूर अपनी थकान भूल जाते हैं; किसान आने वाली फसलों का स्वागत करते हैं और देशप्रेमी देश पर कुर्बान हो जाते हैं। समूहगानों की इसी ताकत को देखते हुए हमारी आज़ादी की लड़ाई के दौरान, और उसके बाद भी, प्रभात-फेरी का प्रचलन रहा है।

6. मुझे लगता है कि देश के बहुत से लोगझंडा-गीत से तो परिचित हैं लेकिन वे उस महान गीतकार के बारे में कम जानते हैं जो यह गीत लिखकर अमर हो गया है। मैं यह बात साझा करने में गर्व का अनुभव करता हूं कि झंडा-गीत की रचना करने वाले स्व. श्याम लाल पार्षद जी कानपुर के नरवल गाँव के निवासी थे। मेरी तरह, यह बात उन सभी व्यक्तियों के लिए गौरव का विषय है जिनकी जन्म-स्थली या कर्म-स्थली कानपुर है।

7. देश-प्रेम की ठोस आधारशिला पर ही एक मजबूत देश का निर्माण होता है। देश-प्रेम की भावना को जीवंत बनाए रखने के लिए आने वाली पीढ़ियों में देश-भक्ति का संचार करते रहना जरूरी है।भारत विकास परिषद इस जरूरी काम को अंजाम दे रही है।हमारे देशवासियों के जीवन के सभी पहलुओं को देश-प्रेम की भावना से जोड़ने के आप सबके प्रयास सराहनीय हैं।

8. हमारा देश प्राचीन काल से ही पूरे विश्व को गणित, विज्ञान, कला और साहित्य के क्षेत्रों में योगदान देता रहा है। मैं आशा करता हूं कि आपके प्रयासों द्वारा हमारी युवा पीढ़ी, हमारे इतिहास के गौरवशाली बिन्दुओं से उपयोगी शिक्षा ग्रहण करेगी। ऐसे प्रयासों से युवा पीढ़ी में राष्ट्र-गौरव और आत्म-विश्वास की भावना और अधिक मजबूत होती है। इस परिषद द्वारा संस्कार शिविरों का आयोजन भी एक अलग और सराहनीय सोच है। आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ, नैतिकता को युवाओं के जीवन का आधार बनाना जरूरी है। शिक्षित होने के लिए केवल ज्ञान प्राप्त करना ही पर्याप्त नहीं है; शिक्षा का असली उद्देश्य अच्छे और नैतिक व्यक्तित्व का निर्माण करना है, जो समाज और देश के लिए अपना योगदान दे सके। अर्थात संस्कारित नागरिक……. अच्छा पति….अच्छी पत्नी….अच्छे पुत्र व पुत्री…. अच्छा शिक्षक…..अच्छा वकील….अच्छा डाक्टर…. अच्छा इन्जीनियर…..अच्छा व्यापारी…..अच्छा राजनेता…।

9. मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि सेवा और संस्कार के मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए इस परिषद ने स्वस्थ, समर्थ, संस्कारित भारत की परिकल्पना की है। इस दिशा में निर्धन तथा कमजोर वर्ग के लोगों के लिए इस परिषद द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्राम विकास की अनेक योजनाएंचलाई जा रही हैं। आपके दिव्यांग केन्द्रों में दी जा रही सेवाओं के बारे में जानकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। महिला सशक्तीकरण, पर्यावरण, वॉटर मैनेजमेंट और नशा-मुक्ति जैसे मुद्दों पर जन-जागरण के प्रकल्पों को चलाने के लिए इस परिषद के सदस्य प्रशंसा के हकदार हैं। परिषद को एक विशेष अभियान चलाना होगा जिससे स्वच्छता, स्वास्थ्य, और पर्यावरण के क्षेत्रों में लोग अपनी ज़िम्मेदारी समझें और उसके अनुसार अमल भी करें। इन सभी प्रयासों में सफल होने के लिए लोगों को प्रेरित करना पड़ेगा। उन्हे प्रेरित करने के लिए, आप सब देश-प्रेम से ओत-प्रोतझंडा-गीतकीशक्तिकाउपयोगकरसकतेहैं और उसे माध्यम बना सकते हैं। इस गीत को अपनाकर आप अपने प्रकल्पों को और अधिक प्रभावी ढंग से आगे बढ़ा सकते हैं। यह गीत गाकर हमारे बच्चे बस्तियों में रहने वाले लोगों को आपके उद्देश्यों से जोड़ सकते हैं। केवल बच्चे ही नहीं, सभी देशवासी झंडा-गीत गाते हुए फिर से पूरे देश में एक ऐसा जोश पैदा कर सकते हैं जिसके बल पर गरीबी, अशिक्षा, अस्वच्छता और असमानता जैसी समस्याओं से आजादी की लड़ाई में हम सब जल्दी ही विजय प्राप्त कर सकते हैं।

10. मेरी राय में झंडा-गीत को प्रभात फेरियों और समूह-गानों के जरिये व्यापक रूप से लोगों में प्रसारित करना एक अच्छा प्रयास होगा और भारत विकास परिषद इस प्रयास को आगे बढ़ा सकता है। इसी प्रकार गांव-गांव, नगर-नगर, टोले-मोहल्ले में प्रभात-फेरी के जरिये अन्य समूह-गीतों का प्रचार कर के परिषद द्वारा लोगों को देश-हित में संगठित किया जा सकता है। खासकर, गांव के लोगों को इकट्ठा करने में समूह-गान बहुत प्रभावी सिद्ध होते हैं।

11. ‘भारत विकास परिषद के योगदान की मैं सराहना करता हूं। मैं आशा करता हूं कि परिषद के सभी सदस्य इसी उत्साह के साथ आगे बढ़ते रहेंगे और भारत को विश्व में और अधिक ऊंचा स्थान दिलाने में अपना योगदान देते रहेंगे। अंत में, मैं अपने विद्यार्थी जीवन के दिनों की प्रेरणा को देश के हित में आज की युवा पीढ़ी तक और इन बच्चों तक पहुंचाने के लिएझंडा-गीत की उन पंक्तियों को आप सबके साथ दोहराना चाहता हूं जो हमारे देशवासियों को हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी। मैं पंक्तियां बोलूंगा और आप सब कृपया दोहराएंगे:

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा – झंडा ऊंचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला – प्रेम सुधा सरसाने वाला – वीरों को हरषाने वाला -मातृभूमि का तन-मन सारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।

इसकी शान न जाने पाए – चाहे जान भले ही जाए – विश्व विजय करके दिखलाएं – तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा – झंडा ऊंचा रहे हमारा।
धन्यवाद, जय हिन्द!