Rashtriya Chetna Ke Swar - राष्ट्रीय चेतना के स्वर

अपनी धरती, अपना अम्बर


अपनी धरती, अपना अम्बर, अपना हिन्दुस्तान, 
अपना हिन्दुस्तान। 
हिम्मत अपनी, ताकत अपनी, अपना वीर जवान, 
अपना वीर जवान।। 

हिमगिरि शीश मुकुट रतनारे, सागर जिसके चरण पखारे। 
गंगा-यमुना की धाराएं, निर्माणों की नींव संवारे।।
नई-नई आशाएं अपनी, अपना हर उत्थान, 
अपना हर उत्थान।

विमल इंदु की विमल-चांदनी, चंदा सूरज करे आरती। 
मलयानिल के मस्त झकोरे, चंवर झुलाते तुझे भारती।। 
कण-कण गायें गौरव गाथा अपना देश महान, 
अपना देश महान। 

अरुणांचल लद्दाख वतन के, दोनों अपने आंगन द्वारे। 
प्राणों को न्यौछावर करते, भारत माँ के वीर दुलारे।।
निशदिन याद हमें आते हैं, वीरों के बलिदान, 
वीरों के बलिदान।।