राजे - महाराजे (पौराणिक)

1. उत्तान पाद : मनु एवं शतरुपा के पुत्र। सुनीति एवं सुरुचि नाम की दो रानियां थी। सुनीति के पुत्र जगत प्रसिद्ध ध्रुव तथा सुरुचि के पुत्र उत्तम थे।

2. ध्रुव : विमाता सुरुचि के व्यवहार से दुखी होकर 5 वर्ष की अल्पआयु में वन में जाकर घोर तपस्या की तथा भगवान की अनुकम्पा प्राप्त की। अनेक वर्षों तक राज्य करने के बाद तारामंडल में स्थायी स्थान प्राप्त किया।

3 .राजा पृथु :  उत्तापाद एवं ध्रुव के वंशज। अत्यन्त प्रतापी राजा। अपने बल पर सम्पूर्ण पृथ्वी का दोहन कर अभीष्ट पदार्थ प्राप्त किए, कृषि का विकास किया। धरती का नाम पृथ्वी इन्ही के नाम पर पड़ा।

4. राजा इक्ष्वाकु : राजा दशरथ के पूर्वज, अत्यन्त प्रतापी राजा। इनके नाम पर ही इक्ष्वाकु वंश का आरम्भ हुआ जिसमें अन्य राजा हुए।

5. मान्धाता : इक्ष्वाकु वंश के प्रतापी राजा।

6. त्रिशंकु : इश्वाकु वंश के प्रतापी राजा। सदेह स्वर्ग में जाने के इच्छुक। कुल गुरु वशिष्ठ के इंकार करने पर विश्वामित्र की शरण में गए। उन्होंने अपने तपो बल से उन्हें सदेह स्वर्ग पहुंचा दिया। किन्तु राजा इन्द्र ने उन्हें नीचे धकेल दिया। विश्वामित्र ने इन्हें पृथ्वी पर आने से रोक लिया। कहते है तभी से वे स्वर्ग और पृथ्वी के बीच लटके हुए हैं।

7. राजा हरीश चन्द्र : अपनी सत्यवादिता के लिए विख्यात अयोध्या के प्रसिद्ध राजा। स्वप्न में अपना राज्य विश्वामित्र को दे दिया। उसकी दक्षिणा के लिए अपनी पत्नी तथा पुत्री के साथ-साथ स्वयं को भी बेच दिया। ‘राजा हरीशचन्द्र’ नाटक को देखकर ही महात्मा गांधी ने सत्य को अपनाया।

8 . राजा सगर : चक्रवर्ती सम्राट। अश्वमेघ यज्ञ के लिए घोड़ा छोड़ा, जिसे इन्द्र ने चुरा लिया। उसे ढूंढने के लिए उनके साठ हजार पुत्रों ने पृथ्वी पर बहुत सा क्षेत्र खोद डाला जो बाद में सागर में बदल गया।

अंशुमन : राजा सगर का पौत्र तथा असमंजस का बेटा। अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा कपिल मुनि के आश्रम से लाकर सगर का यज्ञ पूरा कराया।

10. राजा दिलीप : राजा अंशुमन का पुत्र। गाय को सिंह से रक्षा हेतु स्वयं को सिंह के सामने भक्षण के लिए प्रस्तुत कर दिया। शरणागत वत्सल के रुप में विख्यात।

11. राजा भागीरथ : राजा दिलीप के पुत्र। इन्होंने घोर तपस्या कर गंगा और फिर शंकर भगवान को प्रसंन किया। इनके प्रयास से ही गंगा पृथ्वी पर आई तथा सगर के पुत्रों को अपने जल से स्पर्श द्वारा मुक्ति प्रदान की।

12. राजा रघु : इक्ष्वाकु वंश के राजा दीर्घ बाहु के पुत्र। अत्यन्त प्रतापी राजा। उनके नाम से ही इस वंश को रंघुवंश भी कहा जाता है।

13. अज : राजा रघु के पुत्र। इनकी पत्नी का नाम इन्दुमती था। राजा दशरथ इन्हीं के पुत्र थे।

14 . दशरथ :  भगवान राम के पिता। अपने शासन काल में देवताओं की मदद करने वाले प्रतापी राजा। अपने वचन पर ढृढ़ रहकर तथा पुत्र शोक में प्राण त्यागकर एक आदर्श प्रस्तुत करने वाले।

15. राजा जनक : सीता जी के पालनहार पिता। इन का वास्तविक नाम सीर ध्वज था। मिथिला देश के राजा, आत्मज्ञानी तथा विद्वानों के संरक्षक। प्रसिद्ध विद्वान याज्ञवल्क्य तथा गार्गी का शास्त्रार्थ इन्हीं के दरबार में हुआ था।

16 . राजा पुरुरवा :   चन्द्रवंश के प्रतापी राजा।

17. ययाति : राजा नहुष का पुत्र। दैत्यराज वृषपर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा तथा दैत्य गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी के पति। वृद्ध होने पर अपने पुत्र पुरु को अपना बुढ़ापा देकर युवावस्था प्राप्त की।

18. दुष्यन्त : चन्द्रवंश के एक प्रतापी राजा। इनके पिता का नाम रैम्य था। महर्षि कण्ड के आश्रम में, विश्वामित्र द्वारा मेनका से उत्पन्न पुत्री शकुन्तला से विवाह किया। जगत प्रसिद्ध राजा भरत इन्ही की संतान थे।

19. भरत : दुष्यन्त एवं शकुंतला का पुत्र, बचपन में सिंह शावकों के साथ खेला करते थे। इन्हीं के नाम पर अपने देश का नाम भारत पड़ा।

20. रन्तिदेव : चन्द्रवंश के राजा, दुष्यन्त के वंशज। साधु प्रवृति के राजा। भूखे होते हुए भी अपना तथा अपने सभी परिवारजनों का खाना दूसरों को खिला देने के लिए प्रसिद्ध।

21. द्रुपद : चन्द्रवंशीय प्रसिद्ध राजा जो पांचालदेश पर शासन करते थे। द्रोपदी एवं धृष्टद्युम्न के पिता।

22. शान्तनु : चन्द्रवंश के प्रतापी राजा थे। आपने गंगा से विवाह किया, भीष्म इन्हीं के पुत्र थे।

23. भीष्म : महाभारत काल के जगत प्रसिद्ध व्यक्ति जिन्होंने अपने पिता शान्तनु की खुशी के लिए कभी विवाह न करने तथा राज्य पद न लेने की प्रतिज्ञा की। यह भीष्म प्रतिज्ञा एक कहावत बन चुकी है।

24. चित्रांगद एवं विचित्रवीर्य : शान्तनु के सत्यवती नामक पत्नी से प्राप्त पुत्र। चित्रांगद की मृत्यु शीघ्र ही हो गई थी अतः विचित्रवीर्य ने भीष्म की देख-रेख में राज्य किया।

25. धृतराष्ट एवं पांडू : विचित्रवीर्य के पुत्र। इन्हीं के पुत्र क्रमशः कौरव तथा पांडव कहलाए जिनके बीच हुआ प्रसिद्ध युद्ध महाभारत का युद्ध कहलाता है।

26 . युधिष्ठिर : पांडू एवं कुन्ती के बड़े पुत्र। सत्यवादी तथा धर्माचरण के लिए विख्यात्। महाभारत युद्ध के बाद हस्तिनापुर के राजा हुए।

27. परीक्षित : अर्जुन के पौत्र तथा अभिमन्यु के पुत्र। कहते हैं इनके राज्य काल में ही कलयुग का प्रवेश हुआ। जंगल में शिकार खेलते हुए प्यास से त्रस्त, क्रोध में मुनि के गले में मरा हुआ सांप डाल दिया। ऋषि पुत्र के श्रापवश उसी सांप ने सात दिन बाद परीक्षित को डंस लिया। इन सात दिनों में उन्होंने शुकदेव से श्रीमद्भागवत की कथा सुनी।

28. जन्मेजय : परीक्षित के पुत्र। अपने पिता के सर्पदंश से क्रोधित सभी सांपों का वध करने का संकल्प लिया। बाद में ऋषियों के समझाने से यह संकल्प वापस ले लिया।

29. यदु : राजा ययाति के पुत्र। इन्हीं के नाम पर यदुवंश आरम्भ हुआ जिसमें श्री कृष्ण का जन्म हुआ।

30. राजा उग्रसेन : राजा आहुक के पुत्र, मथुरा के राजा। उसके पुत्र कंस ने उसे गद्दी से हटा कर स्वयं कब्जा कर लिया। बाद में श्री कृष्ण ने कंस का वध कर, उग्रसेन को पुनः राजा बनाया।