अशोकनगर. यदि जज्बा हो तो पत्थरों में भी फूल व फल उगाए जा सकते हैं, इस बात को साबित कर दिखाया है भारत विकास परिषद के 40 सदस्यों ने। जिन्होंने लगातार 10 साल की मेहनत से बंजर पहाड़ी को हरे-भरे जंगल में तब्दील कर दिया। जहां लगाए गए पौधे अब पेड़ बन चुके हैं और पहाड़ी पर अब एक हजार पेड़ लहलहा रहे हैं।
शहर की गौशाला के पास स्थित टोरिया पर सिर्फ झाडिय़ां थीं। वर्ष 2008 में भारत विकास परिषद ने यहां पर पौधरोपण शुरु किया और 2018 तक देखरेख की। इसके लिए 40 सदस्यों ने करीब पांच लाख रुपए एकत्रित कर करीब 20 बीघा जमीन पर तारफेंसिंग कराई, ट्यूबवेल में विद्युत पंप लगवाकर पौधों को पानी देने लाइन बिछाई, लोगों को बैठने बेंच लगाईं और रखवाली के लिए तीन चौकीदार रखे। साथ ही परिषद के सदस्य वहां पहुंचकर खुद ही पौधों की देखभाल करते थे। परिषद के पूर्व अध्यक्ष विकास जुनेजा ने बताया कि करीब दो हजार फलदार व छायादार पौधे पहाड़ी पर लगाए थे, जिसमें से एक हजार पौधे अब पेड़ बन चुके हैं। जो छाया के साथ लोगों को फल भी दे रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा था देश का नंबर वन प्रोजेक्ट-
वर्ष 2012 में भारत विकास परिषद के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सीतारमण शर्मा अशोकनगर भ्रमण पर आए तो सदस्यों ने टोरिया में किया गया पौधरोपण व सुरक्षा की व्यवस्थाएं दिखाईं। इस पर सीतारमण शर्मा टोरिया पर बढ़ती हरियाली को देख इतने खुश हुए और कहा था कि भारत विकास परिषद का देश का नंबर वन प्रोजेक्ट है।
डीपीसी ने की थी शुरुआत, ट्रांसफर हुआ तो परिषद को सौंपा-
टोरिया पर हरियाली की योजना शिक्षा विभाग के तत्कालीन डीपीसी आरके वैद्य की थी, जिन्होनें पौधरोपण शुरु किया, लेकिन जब उनका जिले से ट्रांसफर हुआ तो उन्होंने टोरिया की जिम्मेदारी भारत विकास परिषद को सौंप दी। इससे डॉ.डीके जैन, डॉ.डीके भार्गव, डॉ.वीरेंद्र शर्मा, केवलचंद जैन, एडवोकेट उदयकुमार थत्ते, विश्वबंधु चतुर्वेदी, राकेश कांसल, शिखर बड़कुल, सुबोध जैन, अशोक गांधी, विकास जुनेजा, शिक्षक संजय चौधरी सहित 40 सदस्य बंजर टोरिया को हरा-भरा बनाने जुट गए थे और परिणाम आज सबके सामने है।
अब इस हरियाली को सुरक्षा की जरूरत-
भारत विकास परिषद ने तो 20 बीघा पहाड़ी को हरियाली में तब्दील कर दिया। जहां आम, नींबू, जामफल व आंवले सहित विभिन्न प्रकार के पौधे हैं, लेकिन अब इस हरियाली को सुरक्षा की जरूरत है। जहां पर लोगों का जमावड़ा रहता है, जो इन पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके लिए प्रशासन को गंभीरता दिखाने की जरूरत है, ताकि यह हरियाली बरकरार रहे।
Patrika: 5 June 2022