हमीरपुर। भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त होकर जनपद का राम रोशन करने वाले रामशरण श्रीवास्तव का मंगलवार के दिन अचानक निधन हो जाने से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी है। ये रामजन्मभूमि विवाद के असली महानायक थे जिन्होंने रिटायर्ड होने के बाद रामजन्मभूमि विवाद पर एक दृष्टिकोण नामक पुस्तक प्रकाशित की थी। जिसके तीन संस्करण प्रकाशित हुये थे। इस पुस्तक में यह साबित किया गया है कि विवादित ढांचा पूर्व में निर्मित मंदिर को तोड़कर ही बनाया गया है। यह पुस्तक उच्चन्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में चल रहे वादों में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की गयी थी।
कुरारा क्षेत्र के रहने वाले रामशरण श्रीवास्तव के निधन की खबर से आज पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी है। लोगों ने आकस्मिक हुई इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनके कुरारा स्थित आवास पर संवेदना व्यक्त करने के लिए पहुंचे पता चला कि उनका पार्थिव शरीर कानपुर स्थित आवास पर है। तो लोग कानपुर के लिए दौड़ पड़े तथा अपने परिवार मिलनसार अधिकारी के अंतिम दर्शन की लालसा आंखों में आंसू लिए करने को आतुर दिखे बताते चलें कि कुरारा क्षेत्र के बीहड़ी ग्राम पारा में जन्मे श्री राम शरण श्रीवास्तव की प्रारंभिक शिक्षा द्वारा ग्राम में ही हुई। जूनियर हाई स्कूल उन्होंने बेरी से उत्तीर्ण किया।
हाई स्कूल उन्होंने राजकीय विद्यालय हमीरपुर से इंटर बीएनएसडी कॉलेज कानपुर से बी काम डीएवी कॉलेज कानपुर से उत्तर प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। तथा एमकॉम डीएवी कॉलेज कानपुर से 1957 में विश्वविद्यालय में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। तथा कैरियर की शुरूआत उन्होंने किशोरी शरण परास्नातक कालेज में प्रवक्ता के रूप में प्रारंभ किया था।
वर्ष 1960 में प्रथम प्रयास में ही प्रादेशिक प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ। जहां सब डिविजनल मजिस्ट्रेट व अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट तथा उप निरीक्षक चकबंदी अतिरिक्त श्रम आयुक्त आदि विभिन्न पदों पर कार्य किया प्रादेशिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति होने पर जिलाधिकारी हरदोई फैजाबाद एवं कानपुर नगर जिला अधिकारी फैजाबाद की नियुक्ति राम जन्मभूमि विवाद के कारण बड़ी ही चुनौतीपूर्ण रही परंतु हर परिस्थिति में सफल रहे।
जिलाधिकारी के अतिरिक्त विशेष सचिव शिक्षा समाज कल्याण निदेशक राज्य संपत्ति विभाग के पदों पर रहे उत्तर प्रदेश शासन से दिनांक 31 अप्रैल 1994 को सेवानिवृत्त हुए थे। समाज सेवा के क्षेत्र में उन्होंने अपने ग्राम पारा कंडोर में श्रीराम कंचन लाल स्कूल इंटर कॉलेज तथा कस्बा कुरारा में श्रीरामकृष्ण परास्नातक महाविद्यालय श्री कंचन लाल सगुना इंटर कॉलेज तथा के.आई.एस. चित्रांश इंटरनेशनल स्कूलो की स्थापना की भारत विकास परिषद जो एक अग्रणी संस्था है के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ इंटेलेक्चुअल के अध्यक्ष तथा कई सामाजिक धार्मिक संस्थाओं के संरक्षक भी रहे।
कई संस्थानों द्वारा उत्तर प्रदेश रत्न सेवा रत्न साहित्य सेवा रत्न गुण गौरव व कानपुर गौरव से सम्मानित किया गया। सेवानिवृत्ति के पश्चात राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर एक दृष्टिकोण नामक पुस्तक प्रकाशित की जिसकी जनमानस में ग्राहकों के कारण तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। इस पुस्तक में यह सिद्ध किया गया है कि विवादित भवन का निर्माण एवं पूर्व निर्मित मंदिर को तोड़कर ही बनाया गया है। यह पुस्तक माननीय उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में चल रहे वादों में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की गई थी तथा श्रीवास्तव को साक्षी के रुप में आमंत्रित किया गया था।
जहां इनसे विभिन्न पक्षों के अधिवक्ताओं द्वारा 17 दिवसों तक जिरह की गई थी यह बड़े ही गर्व और गौरव की बात रही जो निष्कर्ष इस पुस्तक में निकाले गए थे। उसी प्रकार का निर्णय माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने दिया है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध संबंधित पक्षों में माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के समक्ष अपनी अपनी-अपनी प्रस्तुत की है जो कि विचाराधीन है। माननीय सर्वाेच्च न्यायालय के निर्णय होते ही। श्रीवास्तव इस पुस्तक के चौथे संस्करण के प्रकाशन की तैयारी कर रहे थे।
जिससे जनमानस में और अधिक विस्तृत जानकारी इस विवाद के संबंध में हो सके जो भ्रांतियां हैं। उसे दूर कर सकें साहित्य सर्जन में सफलता की कुंजी रामचरित मानस में सद्भावना आतंकवाद कारण निवारण विकास में सबसे बड़ी बाधा भ्रष्टाचार राष्ट्रीय वंदे मातरम पर राजनीति क्यों राम के देश में राम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह कानपुर नगर को आदर्श नगर बनाने में नगर निगम व प्रशासन की भूमिका आदि ऐसे कई लेख उन्होंने लिखें। पर्यावरण संबंधी कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर एक विस्तृत आख्या भी तैयार कर शासन को प्रेषित की जो बड़ी ही उपयोगी एवं सृजनात्मक है। फैजाबाद अयोध्या का जिला अधिकारी होने के कारण राम जन्म भूम से संबंधित विभाग की जानकारी प्राप्त करने की दृष्टि से उन्हें चेशायर लंदन विंसफोर्ड व बरनिंघम आदि स्थानों के भारतीय मूल के निवासियों द्वारा आमंत्रित कर सम्मानित किया गया।
उन्होंने रोटरी क्लब मैनचेस्टर की बैठक में भी भाग लिया। जहां भारतीय विवाह पद्धति पर उद्बोधन किया तथा अन्य विवाह पद्धतियों की तुलना में उसे सर्व श्रेष्ठ सिद्ध किया स्थानीय निकाय चेशायर में भी इन्हें सम्मान किया गया आज श्रीवास्तव के ना होने से समाज को जो अपूरणीय क्षति हुई है। उसकी भरपाई तो नहीं हो सकती इस दुखद घटना में समूचे क्षेत्र में दुख की लहर है। उनके परिवार में दो बेटियां थी जिनका विवाह हो चुका है। उनके अनुज कृष्ण शरणश्रीवास्तव व पूरा परिवार इस दुख की घड़ी में स्तब्ध है।