Environment
Bharat Vikas Parishad has launched “Green India Project” under which 150 to 300 trees are planted by each of its branches. Similarly each branch has to distribute 150 to 300 sacred plants like Tulsi for homestead planting in urban colonies.
This programme is being monitored regularly. During the year 2021-22, Parishad’s branches organised 643 environment protection awareness programmes and distributed / planted 1.64 lakh plants.
पर्यावरण संरक्षण प्रबन्धन
पर्यावरण संरक्षण प्रबन्धन वर्तमान में सम्पूर्ण मानवता जाति के लिए सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण विषय बनता जा रहा है। पृथ्वी पर आने वाले आसन्न संकट के निवारण हेतु भारत विकास परिषद् ने देशभर में फैली अपनी शाखाओं के माध्यम से विभिन्न कार्यक्रम चला रखे हैं।
वर्तमान में ‘‘पर्यावरण यानी पौधारोपण व वृक्ष रक्षण, जल- ,ऊर्जा संरक्षण प्रदूषण की रोकथाम, प्लास्टिक का प्रयोग रोकना व स्वच्छता’’ सर्वाधिक महत्वपूर्ण व अनिवार्य विषय है और इसके हम पूरे देश में लगभग हर घर तक पहुंच सकते हैं। पर्यावरण के सभी घटकों को राष्ट्र व्यापी बनाने के लिए निम्नलिखित योजना है –
शाखाएं क्या करें
1. सर्व प्रथम हर शाखा दो सदस्यों की एक पर्यावरण टीम बनाएं जिन्हें मंच से बोलने का अभ्यास हो व विषय का ज्ञान हो। अधिक सक्रीय या बड़ी शाखाओं में दो-तीन टीमें भी हो सकती हैं।
2. यह टीम अपने क्षेत्र के प्रमुख विद्यालयों में प्रार्थना सभा में जाये और विद्यार्थियों को पर्यावरण व जल संरक्षण के लिए 15-20 मिनट में बताये। एक साथी 15-20 मिनट में अपना विषय रखे। दूसरा सदस्य 3-5 मिनट में परिष्द का संक्षिप्त परिचय दे। विद्यालय में जाने का कार्यक्रम विद्यालय प्रमुख के साथ पूर्व निश्चित हो।
3. विषय को उनके घर तक भिजवाने के लिए संलग्न विज्ञप्ति/इश्तिहार प्रिंसिपल के माध्यम से विद्यार्थियों को इस निर्देश के साथ वितरित करायें कि उसे अपने घर के सभी सदस्यों को पढ़ायेंगे। विज्ञप्ति का नमुना एक जैसा होगा शाखा केवल शाखा, शाखा अध्यक्ष, सचिव व पर्यावरण टीम के नाम लिखवा सकेगी। बिना किसी मूल परिवर्तन अन्य किसी भी भाषा में छपवा सकेंगे।
4. एक बार में एक शाखा 10 हजार विज्ञप्तियां छपवाये जिसका खर्च लगभग 2500-3000 रुपये होता है। आवश्यकतानुसार अधिक बार छपवार्यें।
5. हर वि़द्यालय में व अपने क्षेत्र के सार्वजनिक स्थानों पर 2श् ग 3श् का एक एक बैनर संलग्न नमुना अनुसार लगवा दें। प्रतिदिन हजारों लोग न केवल पर्यावरण व जल संरक्षण सन्देश पढ़ेंगे बल्कि भारत विकास परिषद् का नाम भी पढ़ेंगे। एक बैनर की लागत 7-8 रूपये प्रति फुट यानि अधिकतम 50/-। एक शाखा एक वर्ष में 50-100 बैनर भी लगवाए तो 2500-5000 रुपया खर्च होगा। बिना किसी मूल परिवर्तन अन्य किसी भी भाषा में छपवा सकेंगे।
6. कम संख्या वाले विद्यालयों में विद्यालय प्रमुख के माध्यम से केवल विज्ञप्तियां व एक बैनर दिये जा सकते हैं।
7. लगभग 10 हजार रूपये खर्च करके हर शाखा सामान्यतः 10 से 20 हजार घरों में सन्देश पहुंचा सकेगी।
8. हर कार्यक्रम का समाचार मीडिया के माध्यम से प्रचारित करने से और अधिक लाभ होगा।
9. जहां परिषद् शाखाएं नहीं हैं, उस क्षेत्र के विद्यालयों में पास की शाखा के सदस्य विज्ञप्तियां बंटवाने व बैनर लगाने का कार्य कर्रें।
10. नए कार्यकर्ता आसानी से मिलेंगे तथा शाखा विस्तार सुगम होगा।
कार्य योजना
1. सभी क्षेत्रों के सम्बन्धित पर्यावरण सेवा मंत्रियों सहित सभी प्रांतोंके पर्यावरण संयोजकों की एक कार्यशाला आयोजित कर उन्हें पूरा विषय व योजना समझा दी जायेगी।
2. सभी प्रान्त अपने अपने प्रान्त में शाखाओं से पर्यावरण टीम की एक कार्यशाला आयोजित कर उन्हें विषय समझायेंगे और इस प्रकार पूरे देश की सभी शाखाएं सम स्वरूप कार्य व प्रयास करेंगी।
3. एक शाखा न्यूनतम 10 हजार विज्ञप्तियां घरों में पहुंचा दें तो भाविप का नाम देश के 1.5 करोड़ घरों तक पहुंच जायेगा। बड़े क्षेत्रोें वाली शाखाओं में अधिक कार्य होने से हम इसे 1.5 से 2 करोड़ अनुमानित कर सकते हैं।
कार्य विषय:
1. पौधा रोपण: – फलदार व छायादार वृक्षों का पौधारोपण करें। उतने ही पौधे लगाएं जिनकी नियमित देखभाल न्यूनतम 6 मास तक हो सके और वृक्ष बनने तक देखभाल करें। अधिक संख्या नहीं बल्कि अधिक प्रतिशत वृक्ष बनने पर ध्यान केन्द्रित करें। विद्यालय, कालिज, हस्पताल, पार्क जैसे स्थान सर्वाधिक उपयुक्त रहते हैं। पार्क एवं घरों के बाहर जन सहयोग से लोहे के पेन्ट किए गए ट्री गार्ड बनवाकर उन में पौधारोपण कराया जा सकता है। जहां पौधा लगता है उस पौधे की देखभाल एवं सुरक्षा का दायित्व वहां के निवासी को दिया जा सकता है एवं अर्थिक अंशदान भी लिया जा सकता है। जन सहयोग से चलने वाली इस योजना में लगे 95 प्रतिशत पौधे जिंदा रहते है, बड़े होते है। ट्री गार्ड पर 1 फीट x 1 फीट की लोहे की प्लेट लगायी जाये जिस पर भारत विकास परिषद् एवं दानदाता का नाम लिखा हो।
2. तुलसी पौधा वितरण: तुलसी एक औषधीय पौधा है। तुलसी अनेक बीमारियों में विभिन्न प्रकार से प्रयोग में लाई जाती है। तुलसी पौधा धार्मिक, सामाजिक एवं वैज्ञानिक दृष्टीकोण से भी महत्वपूर्ण है। पौधे गमले (परिषद् का नाम सहित) में वितरित किये जाने चाहिएं और उसके साथ इसके महत्व के विषय में भी जानकारी दी जानी उचित है। ध्यान रहे – तुलसी पौधा वितरण करें डंडियां नहीं।
3. जल ऊर्जा स़रक्षण: – जल संरक्षण समय की सर्वाधिक महत्वपूर्ण व तत्कालिक अनिवार्यता हो गई है। उसके लिए प्रयास प्राथमिकता से किए जाने हैं।
– पानी बर्बाद न करें। टुंटी खुल्ली न छोड़े
– वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम द्वारा वर्षा जल संग्रहण करें। भवनों की छत व खेत खलिहान में वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगायें।
– अपने क्षेत्र के तालाब पुनः चालु करायें।
– कृषि सिंचाई में फव्वारा पद्धति काम में लें।
बढ़ते तापमान को रोकने के लिए ऊर्जा संरक्षण अनिवार्य
– एलईडी छोटे बल्ब प्रयोग करें। बेकार लाईट न जलायें।
– सौर उर्जा उपकरण प्रयोग करें। सौर उर्जा उपकरणों पर सब्सिडी भी है।
– देर तक जलने वाली स्टीट लाईटें बन्द कराने के लिए कार्यवाही करें।
4. थैली छोड़ो- थेला पकड़ो अभियान: पुराने कपड़े एकत्र कर निशक्तजनों से कपडें के थैले बनवायें उन पर भारत विकास परिषद् का नाम स्क्रीन से पेन्ट कराकर स्कूलों, पार्को, चौराहों आदि पर निशुल्क या न्यूनतम मुल्य पर वितरित किया जा सकता है।
5. प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगाएं: – विश्व पर्यावरण दिवस 2018 का घ्येय वाक्य है ‘‘ प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगाएं’’ ; उस पर काम करें। प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण के लिए गम्भीर चुनौती बन गई है। विश्व पर्यावरण दिवस 2018 का ध्येय वाक्य है प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करें। निज पर शासन फिर अनुशासन का अनुशरण करते हुए परिषद के आयोजनों में प्लास्टिक गिलास कटोरी कप या डिस्पोजेबल सामग्री का प्रयोग बिलकुल न करें। प्लास्टिक व पोलिथिन थैली की बजाय नए व पुराने कपड़े का थैला प्रयोग करें। प्लास्टिक थैली का यदि कोई प्रयोग अनिवार्य हो तो उसे कचरे में न डालें पुनः प्रयोग में लाएं।
6. खाओं.पीओं फेंको के विरूद्ध अभियान: डिस्पोजेबल कटोरी, प्लेट, गिलास, चम्मच का प्रयोग कम करने के लिए पत्रक परिषद् द्वारा छपवा कर बांटे जाने चाहिएं जिसका प्रारुप केन्द्रीय कार्यालय द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा।
7. प्रदूषण की रोकथाम: – जल, वायू व ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम सम्बन्धी कार्य भी पर्यावरण का विषय है।
(क) जल प्रदूषण – नदियों, तालाब, झील व जल भंडारों में किसी प्रकार का कूड़ा कचरा न डालें।
(ख) वायु प्रदूषण – धुआं, जहरीली गैस आदि हवा में न जाने दें।
|(ग) ध्वनि प्रदूषण – पटाखा का प्रयोग न करें,, जनरेटर आदि साइलेंसर युक्त हों। प्रैसर हार्न न लगायें।
8. स्वच्छता – स्वच्छता के प्रति जागरुकता, उसके लाभ हानि बताना। खुल्ले में कूड़ा कर्कट न डालें। बीमारी से बचेंगे, धन बचेगा, कार्य क्षमता बनी रहेगी।
9. भोजन: भोजन तैयार होनें तक बहुत श्रम, जल, उर्जा, अन्न, धन व कई महिनों का समय लगता है। बेकार न करें। इतना ही लो थाली में व्यर्थ न जाये नाली में।
10. रद्दी से उपयोगी (Waste to Best) रद्दी/बेकार सामान से उपयोगी सामग्री बनाने का प्रशिक्षण दें।
11. पर्यावरण मित्र – परिषद् सदस्यों व अन्य लोगों को पर्यावरण मित्र बनाएं। फार्म (नमूना वैबसाईटस पर) भरवाकर प्रान्त के माध्यम से केन्द्रीय कार्यालय को भिजवायें।
कैसे करें —
1. बैनर लगाएं – सार्वजनिक स्थलों (बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन, पार्क, हस्पताल, मन्दिर आदि) पर बैनर लगवाएं। प्रतिदिन जनता द्वारा पर्यावरण सम्बन्धी प्रेरणा व परिषद् का नाम पढा जायेगा।
2. पम्फलैट वितरित करें: – शिक्षण संस्थाओं में विद्यार्थियों के माध्यम से उनके घरों तक पहुंचाने वाले पम्फलैट के अतिरिक्त अन्य आयोजनों कथा, सैमीनार, सार्वजनिक आयोजनों में पम्फलैट बंटवाये जा सकते है।
3. पर्यावरण रैली एंव संगोष्ठीः स्कूलों में विद्यार्थियों को पर्यावरण की दशा एवं दिशा समझाने के बाद उनकी सहायता से रैली निकाली जा सकती है।
4. पर्यावरण मित्र:: सभी सदस्यों के साथ साथ और लोगों को फार्म भरवा कर पूरे देश में लाखों पर्यावरण मित्र बनाए जा सकते हैं।
5. विभिन्न अवसरों पर रैली, जागरूकता यात्रा, सेमिनार, संगोष्ठी, वाद-विवाद, चित्रकला प्रतियोगिता आदि करें।
प्रान्त क्या करे:-
(1) हर प्रान्त अपनी शाखाओं में इस योजना पर कार्य हेतु प्रति शाखा 2 सदस्यों की एक टीम, जिन्हें मंच से बोलने का अभ्यास हो, के नाम शाखा से आमन्त्रित करे। किसी शाखा से 4 सदस्य भी हो सकते हैं।
(2) प्रान्त सभी शाखाओं की इन पर्यावरण टीमों की एक कार्यशाला आयोजित करे जिसमें उन्हें विषय की जानकारी, वक्तव्य का प्रारूप व अन्य सभी प्रकार की कार्य योजना के विषय में बताया जायेगा।
(3) सभी प्रान्तीय महासचिव व प्रान्तीय संयोजक पर्यावरण निर्धरित तिथी तक प्रयास करके शाखाओं से वांछित नाम, पता, सम्पर्क नम्बर व ईमेल आईडी आदि प्राप्त करलें और क्षेत्रीय म़न्त्री सेवा, राष्ट्रीय मन्त्री पर्यावरण तथा केन्द्रीय कार्यालय को भिजवाने की व्यवस्था करें।
(4) तत्पश्चात सम्बन्धित प्रान्तीय व क्षेत्रीय पदाधिकारियों से विचार विमर्श करके प्रान्तीय कार्यशालाओं की तिथी, समय व स्थान निश्चित किया जायेगा व सभी सम्बन्धित राष्ट्रीय, क्षेत्रीय पदाधिकारियों को सूचित किया जायेगा।
(5) किसी भी तरह की और जानकारी के लिए कृपया मोबाइल, व्हाटसप, मेल द्वारा सम्पर्क करें।
अन्य योजनाएं
>हर घर के आगे प्रेरण्णत्मक स्टीकर लगाना।
>वाटर हारवैस्टिंग सिस्टम के लिए प्रोत्साहित करना व गाइड करके लगवाना।
>टीन/प्लास्टिक की प्लेटें सार्वजनिक स्थानों पर लगाना। अन्य कार्य सबकी सहमति से।
प्रत्यक्ष लाभ –
(1) भाविप का नाम एक साथ 1.5-2 करोड़ या अधिक घरों में पहुंचेगा।
(2) देश व समाज की सर्वाधिक बड़ी व भयावह समस्या के बारे में लोगों में जागृति आएगी।
(3) पूरे देश में सभी शाखाएं एक साथ एक प्रकार का कार्य करेंगी। विज्ञप्ति व बैनर का विषय समान रहेगा। शाखाएं केवल अपना नाम जोड़ सकंेगी।
(4) बैनर पर भाविप का नाम नियमित पढ़ा जायेगा व जागृति निरन्तर बढ़ेगी।
(5) नए कार्यकर्ता स्वतः तथा आसानी से मिलेंगे तथा शाखा व सदस्य विस्तार सुगम होगा।
इन राष्ट्रीय व अर्न्तराष्ट्रीय दिवस विशेष जैसे 21 मार्च अन्तर्राष्ट्रीय वन दिवस, 22 मार्च विश्व जल दिवस, 6-12 मार्च राष्ट्रीय भूजल जागरूकता सप्ताह, 22 अप्रैल अन्तर्राष्ट्रीय पृथ्वी दिवस, 3 मई अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा दिवस, 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस, जुलाई में प्रथम सप्ताह राष्ट्रीय पर्यावरण सप्ताह, 31 जुलाई राष्ट्रीय वृक्ष दिवस, 3 अक्तुबर विश्व प्रकृति दिवस, 2 दिसम्बर राष्ट्रीय प्रदूषण नियन्त्रण दिवस, 5 दिसम्बर विश्व मिट्टी दिवस, 14 दिसम्बर राष्ट्रीय उर्जा संरक्षण दिवस आदि अवसरों पर रैली, जागरूकता यात्रा, सेमिनार, संगोष्ठी, वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि करके समाज में और अधिक काम व नाम किया जा सकता है।
अन्य विशेष:-
1. जो पम्फलैट छपें या बैनर बनें या अन्य सामग्री बनेे उसका पक्का बिल अवश्य लें। यह न सोचें कि जीएसटी लगेगा।
2. रिपोर्ट के साथ पम्फलैट, बैनर या अन्य सामग्री के नमुना अवश्य भेजें तथा अपने पास भी रिकार्ड अवश्य रखें।
आओ एक बड़ी श्रंखला बनाकर दृढ़ निश्चय, लग्न, निष्ठा व समर्पण के साथ आगे बढ़ें और देश व समाज की समस्याओ को कम करने में अपना योगदान दें तथा अपने व भावी पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित बनायें।
किसी प्रकार की जानकारी या स्पष्टीकरण के लिए सम्पर्क करें: National Secretary – Environment (Shri Ramesh Chender Goyal)
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