Rashtriya Chetna Ke Swar - राष्ट्रीय चेतना के स्वर

कदम मिलाकर


कदम मिलाकर बढ़ते हुएँ, घर घर में नव सुमन खिलाएँ
मंगल पावन नवयुग वेला, सुख वैभव धरती पर लाएँ।।
कदम मिलाकर बढ़ते जाएँ                   ।।ध्रु-।।

पुण्य धरा यह भरतखण्ड की, कोई भेद न कष्ट रहेगा
संस्कार युत् समरस जीवन, यज्ञ सुगन्ध समीर बहेगा
दिव्य शृंखला अनगिन दीपक, एक एक कर दीप जलाएँ
कदम मिलाकर बढ़ते जाएँ                  ।।1।।

अपना गौरव जाग रहा है, जाग रही है अपनी शक्ति
आत्म-तत्व सब ओर निहारें, निखरे निर्मल निश्चल भक्ति
सेवा धर्म है परम् साधना, विकसित जीवन पुष्प चढ़ाएँ
कदम मिलाकर बढ़ते जाएँ                 ।।2।।

कठिन परिश्रम स्वत्व धरा पर, सभी दिशा हो रचना उत्तम
विश्व-वंद्य हो भारत माता, विविध विधाएँ सुन्दर अनुपम
नूतन संहिता जग कल्याणी, अपनी माटी से विकसाएँ
कदम मिलाकर बढ़ते जाएँ                 ।।3।।

काल चुनौती स्वीकारी है, वीरव्रती अब नहीं रुकेगा
पराक्रमी सामर्थ्य हमारा, उन्नत मस्तक नहीं रुकेगा
नीलाम्बर पर अरुण पताका, अपने हाथों से फहराएँ
कदम मिलाकर बढ़ते जाएँ                ।।4।।