Rashtriya Chetna Ke Swar - राष्ट्रीय चेतना के स्वर
चलो जवानो, बढ़ो जवानो
चलो जवानो, बढ़ो जवानों, माँ ने हमें पुकारा है, दुश्मन ने ललकारा है।। राणा सांगा, शिव, प्रताप का विक्रम भूल नहीं जाना, भगतसिंह के अतुल त्याग को कभी न मन से बिसराना, झांसी की रानी का गौरव सकल देश में फैलाना, गुरु-पुत्रों के बलिदानों की अमर कथाएं दुहराना। बढ़ो-बढ़ो ओ सिंह सपूतों, हिमगिरि ने ललकारा है ।। 1 ।।
तेरे होते सीमाओं पर दुश्मन न आने पाये, आ जाये तो वापस अपना शीश न ले जाने पाये, जिधर बढ़ा तूफाँ शरमाये, सागर-पर्वत झुक जाये, शीश जहां अर्पण हो जाये, वहां तीर्थ ही बन जाये, भारत माँ की लाज बचाना, पहला काम हमारा है ।। 2 ।।
गंगा, यमुना, कावेरी की लहरें हमें बुलाती हैं, राम-कृष्ण की धरती ऊपर गीता-ज्ञान सुनाती है, उठो-उठो ज्यों पार्थ उठे, तुम वैरी को ललकार उठो, बढ़ो-बढ़ो, ओ पार्थ बढ़ो तुम, वैरी ना बचने पाये, भारत माँ की सेवा करना यह कर्तव्य हमारा है ।। 3 ।।