Rashtriya Chetna Ke Swar - राष्ट्रीय चेतना के स्वर
जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है
जननी जन्मभूमि, स्वर्ग से महान है। इसके वास्ते ये तन है, मन है और प्राण हैं।।
इसके कण-कण में लिखा राम-कृष्ण नाम है। हुतात्माओं के रूधिर से भूमि शस्य-श्याम है। धर्म का ये धाम है, सदा इसे प्रणाम है। स्वतंत्र है धरा यहां, स्वतंत्र आसमान है। जननी जन्मभूमि, स्वर्ग से महान है।।1।।
इसकी आन पर कभी जो बात कोई आ पड़े। इसके सामने जो जुल्म के पहाड़ हों खड़े।। शत्रु सब जहान हों, विरूद्ध विधि-विधान हो, मुकाबला करेंगे जब तक जान में ये जान है। जननी जन्मभूमि, स्वर्ग से महान है।।2।।
इसकी गोद में हजारों गंगा-यमुना झूमती। इसके पर्वतों की चोटियां गगन को चूमती।। भूमि ये महान है, निराली इसकी शान है। इसकी जय-पताका ही स्वयं विजय-निशान है। जननी जन्मभूमि, स्वर्ग से महान है।।3।।