Rashtriya Chetna Ke Swar - राष्ट्रीय चेतना के स्वर
अब तक सुमनों पर चलते थे
अब तक सुमनों पर चलते थे, अब काँटो पर चलना सीखें।
खड़ा हुआ है अटल हिमालय दृढ़ता का नित पाठ पढ़ाता, बहो निरंतर ध्येय-सिंधु तक, सरिता का जल-कण बतलाता, अपने दृढ़ निश्चय से पथ की बाधाओं को हरना सीखें।।1।।
अपनी रक्षा आप करे जो, देता उसका साथ विधाता, अन्यों पर अवलम्बित है जो पग-पग पर वह ठोकर खाता, जीवन का सिद्धांत अमर है, उस पर हम नित चलना सीखें।।2।।
हममें चपला सी चंचलता, हममें मेघों का गर्जन है, हममें पूर्ण चन्द्रमा चुम्बी, सिन्धु तरंगों का नर्तन है, सागर से गंभीर बनें हम, पवन समान मचलना सीखें।।3।।
उठें-उठें अब अंधकारमय, जीवन-पथ आलोकित कर दें, निविड़ निशा के गहन तिमिर को, मिटा आज जग ज्योतित कर दें, तिल-तिल कर अस्तित्व मिटा दें दीपशिखा सम जलना सीखें।।4।।