Rashtriya Chetna Ke Swar - राष्ट्रीय चेतना के स्वर

सूरज बदले, चंदा बदले


सूरज बदले, चंदा बदले, बदले चाहे ध्रुवतारा,

पर भारत की आन न बदले, यह संकल्प हमारा।।

उन्नत शीर्ष हिमालय जिसका, वह झुकना क्या जाने,
जो शकारि रिपु-दमन विजेता, वह डरना क्या जाने,
अब संभले वह शत्रु नराधम, जिसने है ललकारा।। 1।।

देवासुर-संग्राम जयी जो, महाबली जगत्राता,
रावण कंस असुर संहारक, सत्य धर्म निर्माता,
इस स्वदेश के हम सपूत हैं, साक्षी है जग सारा।। 2।।

मिली चुनौती जब भी हमको, उसे सदा स्वीकार किया,
शीष चढ़ाकर मातृभूमि का, नित्य नया श्रृंगार किया,
यही शक्ति अब भी अक्षय है, बदलेंगे युग-धारा।।3।।