Bharat Ko Jano Q&A – Hindi 08
संत, महात्मा, समाज सुधारक
1. महात्मा बुद्ध | ईसा से 600 वर्ष पूर्व कपिल वस्तु में शाक्य राजा शुद्धोधन के यहां अवतरित हुए। शीघ्र ही वैराग्य लेकर घर से निकल गए। गया में पीपल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ। बौद्ध धर्म की स्थापना की। |
2. ऋषभ देव | नाभिराय तथा मेरूदेवी के पुत्र। जैन धर्म के 24 तीर्थकरों में से प्रथम। |
3. महावीर स्वामी | जैन धर्म के 24 वें तथा अन्तिम तीर्थकर। जन्म 599 ई. पूर्व कुन्डग्राम या कुन्डलपुर में राजा सिद्धार्थ एवं त्रिशला देवी के घर हुआ। 527-28 ई. पूर्व पावापुरी नामक स्थान पर निर्वाण प्राप्त किया। |
4. अश्वघोष | सम्राट कनिष्क के समय प्रसिद्ध विद्वान, दार्शनिक एवं कवि। गीतों के माध्यम से बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया। बुद्धचरितम के लेखक। |
5. नागार्जुन | माध्यमिक सम्प्रदाय के प्रवर्तक एवं महान दार्शनिक। बुद्ध के मध्य मार्ग को अपनाने के कारण माध्यमिक अथवा शून्यवादी कहा जाता है। |
6. वसु बन्धु | चौथी शताब्दी में, बौद्ध धर्म के दार्शनिक सम्प्रदायों के संस्थापकों में सर्वोपरि नाम। अपने काल में ये द्वितीय बुद्ध कहलाते थे। |
7. शंकराचार्य | मलाबार के कालडि ग्राम में शिवगुरू तथा आर्यम्बा के घर सन् 788 ई. में पैदा हुए। संन्यासी गुरू गोविन्द पाद से दीक्षा ली। भारत के चारों कोनों में, पूर्व में जगन्नाथ, पुरी, पश्चिम में द्वारिका, दक्षिण में श्रृंगेरी तथा उत्तर में बद्रीनाथ में चार मठ स्थापित किए। महान विचारक और ज्ञानी जिन्होंने पूरे भारत में ज्ञान और भक्ति का प्रसार-प्रचार किया। अद्वैतवाद के प्रवर्तक। 32 वर्ष की अल्पायु में इहलीला समाप्त हुई। |
8. रामानुजाचार्य | 10वीं शताब्दी के महान संत जिन्होंने द्वैतवाद (विशिष्ट) दर्शन का प्रचार-प्रसार किया। इन्होंने सगुण ईश्वर की पूजा का उपदेश दिया। ये दक्षिण भारतीय थे। इनके पिता का नाम केशव भट्ट था। |
9. मध्यवाचार्य | 13वीं शताब्दी के कर्नाटक के उडूपी ग्राम में नारायण भट्ट के यहां जन्म। इन्होंने द्वैतवाद दर्शन का प्रचार-प्रसार किया। |
10. रामानन्द | जो कार्य रामानुज ने दक्षिण भारत में किया वहीं, उत्तर भारत में रामानन्द ने किया। वैष्णव भक्तों में शिरोमणी। इनके शिष्यों में सभी धर्म व जाति के लोग थे कबीर उन में से एक थे। |
11. चैतन्य महाप्रभु | 14वीं शताब्दी में राधाकृष्ण के महान भक्त। सभी जाति के व्यक्तियों को शिष्य बनाया। इन्होंने कीर्तन परिपाटी का आरंभ किया। बंगाल इनका मुख्य कार्य क्षेत्र था। गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय के संस्थापक। |
12. कबीर | 14वीं शताब्दी में रामानन्द के प्रमुख शिष्यों में एक। जुलाहें का काम करते थे। हिंदु-मुसलमानों के बीच समन्वय का प्रयास किया। दोनों ही धर्मों के पाखंडों की आलोचना की। इनकी साखियां प्रसिद्ध हैं, ये निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे। |
13. गुरू नानक | सिख धर्म के संस्थापक एवं प्रथम गुरू। पंजाब के तलवंडी ग्राम में कालू राम मेहता के घर 1469 में जन्म लिया। इन्होंने वेदान्त का ज्ञान लोक भाषा में प्रस्तुत किया। 1539 में स्वर्ग सिधारे। |
14. मीरा बाई | 1498 मे मेड़ता में जन्म लिया। मेवाड़ के राणा सांगा की पुत्रवधु कृष्ण की महान भक्त। भाक्ति के विश्वास से हँसते-हँसते विष का प्याला पी लिया। 1546 में स्वर्गवासीं हुई। |
15. तुलसी दास | 16वीं शताब्दी के लोकमान्य राम भक्त महान कवि। इन्होंने ‘‘रामचरित मानस’’ की रचना की। मुस्लिम आक्रान्त हताश जनों को मनोबल प्रदान किया। संस्कृत के विद्वान होते हुए भी लोक-भाषा में रचनाएं की। |
16. संत तुका राम | 17वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में जन्में वैष्णव संत जिनके हजारों काव्य पद अभंग के नाम से प्रसिद्ध है। |
17. रवि दास राम | 16वीं शताब्दी के सुप्रसिद्ध संत, चर्मकार परिवार में जन्में थे। स्वामी रामरनन्द के अनुयायी थे। प्रसिद्ध कृष्ण भक्त मीराबाई ने भी इनका सान्निध्य ग्रहण किया। |
18. बल्लभाचार्य | 15वीं शताब्दी में आन्ध्र के लक्ष्मण भट्ट् के पुत्र। कृष्ण भक्त, पुष्टिमार्गी, वैष्णव आचार्य, काशी में पढ़े। कुछ समय वृन्दावन में रहे। इनका मत ‘‘शुद्धाद्वैत’’ कहलाता है। जिसके अनुसार ब्रह्म ही स्वेच्छा से जगत रूप बन जाते हैं। |
19. गोरखनाथ | मत्स्येन्द्र नाथ के शिष्य, महान हठयोगी अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत के अनेक भागों में इनके मठ हैं, जहां इनकी पूजा होती है। |
20. झूले लाल | 10वीं शताब्दी में सिंध प्रान्त में जन्में पूज्यनीय पुरूष, वरूण देवता के अवतार माने जाते हैं। इन्होंने मुसमान नवाब द्वारा सारी प्रजा का बलात् सामूहिक धर्मान्तरण किए जाने की दुष्ट योजना को विफल कर दिया। सिंधियों के महान संतों में इनकी गणना होती हैं। |
21. तिरूवल्लूवर | ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी में जन्में, बुनकर व्यवसायी, तमिल संत, जिनके सुभाषित तिरूक्कुरल ग्रन्थ में संगृहीत हैं जो तमिल साहित्य का सम्मनित ग्रन्थ है। |
22. कम्ब | एक हजार वर्ष पूर्व तमिलनाडू में जन्में प्रसिद्ध राम भक्त कवि जिन्होंने तमिल में कम्ब रामायण लिखकर दक्षिण भारत में राम-कथा का प्रसार किया। |
23. बसवेश्वर | 11वीं शताब्दी में हुए कर्नाटक के शैव संत जिन्होंने कर्नाटक एवं आंध्र में शैव सम्प्रदाय की स्थापना की। |
24. नरसी मेहता | 15वीं शताब्दी के प्रसिद्ध कृष्ण भक्त संत, जो जूनागढ़ (गुजरात) के निवासी थे। प्रसिद्ध भजन ‘वैष्णवजन तैने कहिए’ इनकी ही रचना है। |
25. शंकर देव | 15वीं शताब्दी में कामरूप (असम) मे जन्में वैष्णव संत जिन्होंने समाज को धार्मिक अधः पतन से उबारने के लिए कृष्ण भक्त से संबन्धित अनेक ग्रन्थ रचे और भगवत धर्म का प्रचार किया। सम्पूर्ण असम में इन्होंने सर्वाधिकार की व्यवस्था की तथा नामघर स्थापित किए। |
26. सायणाचार्य और विद्यारण्य | 14वीं शताब्दी के दो विद्या- बुद्धि निधान, धर्म एवं राजनीति मे निपुण भाई। सायणाचार्य ने चारों वेदों पर भाष्य लिखे और विद्यारण्य ने वेदान्त दर्शन ग्रंथ। इन्होंने हरिहर तथा बुक्का राव नाम के दो वीर क्षत्रिय भाइयों का मार्ग दर्शन कर धर्म रक्षा के लिए, विजय नगर राज्य की स्थापना कराई तथा चाणक्य की भाँति प्रधान मंत्री पद संभाल कर राज्य व्यवस्थित किया। |
27. ज्ञानेश्वर | 12वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में जन्में पंथी, सिद्ध बालयोगी जिन्होंने भगवद्गीता की पद्यबद्ध टीका ‘ज्ञानेश्वरी’ नाम से लिखी। इनके बड़े भाई निवृत्ति नाथ तथा छोटे भाई सोपान देव और बहिन मुक्ता बाई भी आत्म-ज्ञानी थे। |
28. समर्थ गुरू रामदास | 17वीं शताब्दी में मराठवाड़ा में सूर्याजी पंत के घर जन्में। विवाह मण्डप से भाग कर वर्षों घोर तपस्या कीं मुसलमानों के अत्याचारों से पीड़ित समाज को जगाते हुए हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के लिए, शिवाजी का मार्ग-दर्शन किया और उनके गुरू के नाम से विख्यात् हुए। |
29. पुरन्दर दास | 16वीं शताब्दी में कर्नाटक में जन्में, माधवा सम्प्रदाय के वैरागी कृष्ण भक्त कवि जिनके भजन प्रसिद्ध है। |
30. बिरसा मुंडा | 1875 में बिहार के जन-जाति बहुल छोटा नागपुर के रांची जिले में जन्में बिरसा मुंडा ने अंग्रेज शासकों के अत्याचारों के विरूद्ध वनवासियों को संगठित कर सशस्त्र विद्रोह किया। 25 वर्ष की आयु में कारागार में डाल दिए गए। वनवासी इन्हें भगवान के रूप में याद करते है। |
31. राजा राम मोहन राय | 1772 में बंगाल में जन्में। ब्रह्म समाज के संस्थापक, सती प्रथा, बाल विवाह, परदा-प्रथा कि विरोधी तथा विधवा – विवाह तथा महिला शिक्षा के समर्थक थे। |
32. दयानन्द सरस्वती | 1824 में कठियावाड़, गुजरात में जन्में, आर्य समाज के संस्थापक। वैदिक धर्म के पुनरूत्थान के लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष किया। सत्यार्थ प्रकाश के द्वारा हिंदु धर्म की श्रेष्ता सिद्ध की। |