Rashtriya Chetna Ke Swar - राष्ट्रीय चेतना के स्वर
जय जय हे भगवति
जय जय हे भगवति सुरभारति तव चरणौ प्रणमाम:। नादब्रह्मïमयि जय वागीश्वरि शरणं ते गच्छाम: त्वमसि शरण्या त्रिभुवनधन्या वन्दित-सुर-मुनि-चरणा नवरसमधुरा कवितामुखरा स्मित-रुचि-रुचिराभरणा॥ जय जय हे……………………(१)
आसीना भव मानसहंसे कुंद-तुहिन-शशि धवले हर जडतां कुरु बुद्धिविकासं सित पंकज तनु विमले॥ जय जय……………………….(२)
ललितकलामयि ज्ञानविभामयि वीणा-पुस्तक-धारिणि मतिरास्तां न:तव पदकमले अयि कुण्ठाविषहारिणि जय जय हे……………………(३)