कोटा. भारत विकास परिषद चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र में एक युवक की जटिल हार्ट सर्जरी की गई। मरीज को हार्ट की सर्जरी के लिए मात्र डेढ़ इंच का चीरा लगाकर सवा इंच का वाल्व बदलने में सफलता हासिल की है। यह एमआईसीएस तकनीक होती है, जिसके तहत हार्ट सर्जरी में छोटा चीरा लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस ऑपरेशन की खास बात यह भी है कि मरीज ऑपरेशन के दूसरे ही दिन बिना किसी सहारे के खुद ही चलने भी लगा है। मरीज की छाती पर देखने से ओपन हार्ट सर्जरी के लिए लगाया गया चीरा फोड़े फुंसी के लिए लगाए गए चीरेे के समान ही दिखाई दे रहा है। छोटे से चीरा लगाकर ऑपरेशन करने से मरीज की रिकवरी ग्रोथ भी काफी अच्छी है।
भारत विकास परिषद चिकित्सालय के हार्ट सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि केशोरायपाटन बूंदी निवासी 23 वर्षीय युवक जितेन्द्र के वाल्व में तकलीफ थी, करीब तीन-चार साल से उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, एक फ्लोर भी सीढ़ी नहीं चढ़ पा रहा था। जब वो यहां ओपीडी में दिखाने आया तो उसे देखने से लगा कि वो मिनिमल इन्वेसिव कार्डियक सर्जरी के लिए फिट है।
उन्होंने बताया कि छोटा चीरा लगाकर सर्जरी करने से मरीज की रिकवरी बहुत अच्छी है, मरीज करवट ले रहा है, चल फिर रहा है। पेंशेंट के लिए बहुत ही अच्छा ऑपरेशन रहा, उसे ज्यादा दर्द भी सहन नहीं करना पड़ रहा है। ऐसे ऑपरेशन के लिए तकनीकी गुणवत्ता का होना बेहद आवश्यक है, आसानी से ऑपरेशन करना संभव नहीं होता। इस ऑपरेशन में करीब ढाई घंटे का समय अतिरिक्त लगा।
इसलिए जटिल थी यह सर्जरी
डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि पारंपरिक तकनीक यानी ओपन हार्ट सर्जरी में लगभग 9 इंच लंबा चीरा लगाया जाता है। वहीं सीने की हड्डी को काटकर ऑपरेशन किया जाता है, लेकिन इस तकनीक की मदद से केवल डेढ़ इंच चीरे से सर्जरी की गई। इससे सीने की हड्डी को नहीं काटना पड़ा और मामूली चीरे से ही सर्जरी की गई। इस केस में मरीज व तीमारदार दोनों को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं पड़ी।
एमआईसीएस तकनीक से रोगी को ये फायदा
एमआईसीएस तकनीक में छोटे से चीरे से सर्जरी की जाती है, जिससे रोगी बहुत जल्द स्वस्थ हो जाता है। यह चीरा बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता है। साथ ही पोस्ट ऑपरेटिव दर्द, रक्तस़्त्राव एवं संक्रमण का खतरा भी काफी कम होता है। इलाज के दौरान रोगी को हॉस्पिटल में ज्यादा दिन तक भर्ती भी नहीं रहना पड़ता है
Patrika News: 11 October 2020