Divyang Sahayata – Overview
Helping the Physically Challenged
Parishad provides artificial limbs to 3.35 lakh divyang beneficiaries
Helping the physically challenged persons to fully participate in social and national life of the country is one of the important programmes of the Bharat Vikas Parishad. Beginning with the establishment of its first Divyang Centre in Delhi in 1990, there are now 13 Viklang Sahayata Kendras in various states, which provide artificial limbs free of cost to needy persons through their centres as well as by organising camps.
These centres provide artificial limbs, calipers, hearing aids, medicines, special shoes, and tri- cycles. In addition, there are mobile workshops which manufacture artificial limbs and service Divyang Camps organised by various Branches. Some of the centres have taken up special programme to help polio victims by organising their operations.
It may mentioned that our centres are equipped with the most modern equipment to manufacture artificial limbs and other attachments. The trained technicians at these establishments, through R&D, have developed improved limbs that are not only very light but also highly efficient. The limbs manufactured by the centres are rapid fit, cosmetically and functionally close to human walking, running, climbing, swimming driving etc. The disabled persons, after the fitment, can even lift heavy weights and work in workshop and farms.
Bharat Vikas Parishad is the only non-governmental organisation that renders service to the largest number of physically persons in the country year after year.
Apart from providing artificial limbs and other aids to the disabled persons, Bharat Vikas Parishad is now actively working for their rehabilitation so as to enable them to live an independent life. A number of such centres are functioning in various parts of the country.
Limbs Provided by Divyang Kendras
The number of artificial limbs provided during the year 2023-24 and till March, 2024 by various Divyang Kendras is indicated below:
S. No. | Start Year | State | Town | Limbs provided during 2023-24 | Total till Mar'24 | ||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
At Kendras | At camps by BVP | At other camps | Total (5)+(6)+(7) | Total till Mar'23 | (8)+(9) | ||||
(1) | (2) | (3) | (4) | (5) | (6) | (7) | (8) | (9) | (10) |
1 | 1990 | Delhi | Delhi | 1320 | 213 | 200 | 1733 | 88525 | 90258 |
2 | 1992 | Himachal Pradesh | Nagrota | 5938 | 5938 | ||||
3 | 1993 | Andhra Pradesh | Hyderabad | 1727 | 366 | 294 | 2387 | 37717 | 40104 |
4 | 1995 | Assam | Guwahati | 9 | 20 | 29 | 4207 | 4236 | |
5 | 1996 | Punjab | Ludhiana | 987 | 910 | 651 | 2548 | 64959 | 67507 |
6 | 1996 | Rajasthan | Kota | 9428 | 9428 | ||||
7 | 1996 | Maharashtra | Pune | 515 | 476 | 559 | 1550 | 9689 | 11239 |
8 | 1998 | Gujarat | Ahmedabad | 530 | 218 | 60 | 808 | 22653 | 23461 |
9 | 1998 | Madhya Pradesh | Indore | 11468 | 11468 | ||||
10 | 1999 | Bihar | Patna | 1556 | 15 | 1571 | 39081 | 40652 | |
11 | 1999 | Haryana | Hissar | 335 | 226 | 199 | 760 | 14448 | 15208 |
12 | 2000 | Uttar Pradesh | Moradabad | 7138 | 7138 | ||||
13 | 2005 | Rajasthan | Sanchore | 492 | 492 | 7915 | 8407 | ||
Total | 7471 | 2429 | 1978 | 11878 | 323166 | 335044 |
दिव्यांग सहायता एवं पुनर्वास की आवश्यकता
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारतवर्ष में 2.68 करोड़ दिव्यांग व्यक्ति थे जो देश की कुल जनसंख्या का 2% से भी अधिक है। इन कुल दिव्यांग लोगों में 54 लाख व्यक्ति जो अंग संचालन में असमर्थ हैं या उन्हें कठिनाई होती है और ऐसा अनुमान है कि प्रतिवर्ष 40, 000 व्यक्ति विभिन्न कारणों से अपंग हो जाते हैं। इस समस्या की विशालता को दृष्टि में रखकर भारत विकास परिषद् ने 1990 में दिव्यांग सहायता एवं पुनर्वास योजना प्रारम्भ की एवं इसे परिषद् के राष्ट्रीय प्रकल्प का दर्जा दिया। इस समय देश भर में परिषद् के 13 केन्द्र कार्यरत हैं जो अपने केन्द्र पर कैम्पों का आयोजन करके दिव्यांग को कृत्रिम अंग एवं अन्य उपकरण निःशुल्क उपलब्ध कराते हैं।
परिषद् केन्द्रों द्वारा विकलांग सहायता
परिषद् के ये केन्द्र निःशुल्क कृत्रिम अंग, कैलीपर्स, श्रवण यन्त्र, औषधियाँ, विशेष प्रकार के जूते एवं ट्राईसिकिल प्रदान करते हैं। इनके द्वारा मोबाइल वर्कशॉप भी संचालित हैं जो कृत्रिम अंग निर्माण करती हैं और परिषद् की विभिन्न शाखाओं द्वारा आयोजित शिविरों में अपनी सेवाएँ प्रदान करती हैं। कुछ केन्द्रों ने पोलियोग्रस्त लोगों की सहायता के लिए उनके ऑपरेशन के विशिष्ठ कार्यक्रम भी संचालित किये हैं।
दिव्यांग पुनर्वास एवं कल्याण
परिषद् द्वारा देश के कई भागों में ऐसे अनेक केन्द्र खोले गए हैं जो दिव्यांगजनों के पुनर्वास हेतु सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं ताकि वे एक आत्मनिर्भर जीवन जी सकें। इन केन्द्रों में दिव्यांगों को रोजगारपरक प्रशिक्षण जैसे – कम्प्यूटर पर काम करना, सिलाई, कपड़ों की छपाई, जिल्दसाजी, मोमबत्ती, चाक, डस्टर इत्यादि का निर्माण एवं अन्य इसी प्रकार की कारीगरी सिखाई जाती है। कार्यालयों, फैक्टरियों इत्यादि में इन्हें रोजगार दिलाने का भी प्रयास किया जाता हैं ये केन्द्र दिव्यांगों के विवाह का भी आयोजन करते हैं।
यह गर्व का विषय है कि परिषद् के दो दिव्यांग केन्द्रो को राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं वर्ष 1995 में दिल्ली भारत विकास फाउण्डेशन को तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने इसके उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। वर्ष 2004 में लुधियाना केन्द्र को भी उत्कृष्ट कार्य के लिए महामहिम डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम द्वारा पुरस्कृत किया गया था।
लुधियना दिव्यांग केन्द्र को वर्ष 2007 में माननीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा दिव्यांगों के पुनर्वास में श्रेष्ठ कार्य करने के लिए फिक्की (FICCI) पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
भारत विकास परिषद् ने संकल्प लिया है कि ‘‘21वीं शदी का भारत, दिव्यांगता मुक्त भारत’’ इस संकल्प को पूरा करने में पुरी तरह क्रियाशील भी है।