हापुड़। भारत विकास परिषद हापुड़ संस्कार के तत्वावधान में हिंदी दिवस के अवसर पर एक ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने कविता पाठ कर सभी का मन मोह लिया।
मुख्य अतिथि प्रांतीय उपाध्यक्ष इंदु वार्ष्णेय ने कहा कि हिंदी दिल को छूने वाली भाषा है। हिंदी हमारे हृदय में रची बसी है। विशिष्ट अतिथि प्रांतीय महिला संयोजिका रेनू बंसल ने कहा कि हिंदी भाषा में जो आत्मीयता एवं संप्रेषण शक्ति है वह दूसरी भाषाओं में नहीं है। हिंदी गंगा की निर्मल धारा के समान है जो अपने में समाहित होने वाली हर भाषा को निर्मल बना देती है। अध्यक्ष प्रेमलता तिवारी, अलका गर्ग ने कहा कि हिंदी जन जन की भाषा के साथ साथ अत्यंत लोकप्रिय भाषा है। ललित गोयल, अर्चना कंसल ने कहा कि हमें हिंदी को बढ़ावा देने का पूर्ण सहयोग करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
वंदना गुप्ता, आशा गर्ग ने ज्यादा से ज्यादा कार्य हिंदी में करने के सुझाव दिए। मुकेश माहेश्वरी ने हिंदी को जनमानस की भाषा बताया। डा. आराधना बाजपेई ने नारी सशक्तीकरण पर विचार व्यक्त करते हुए कहा नारी की अस्मिता, पावन नहीं प्रमोद! शर शैया भीषम मिली, मिली जटायू गोद। गरिमा आर्य ने पढ़ा हम भारत देश के वासी हैं हिंदी हमारी भाषा है, जो पतन हुआ है भारत का, हिंदी ही बची एक आशा है।
डा अनिल बाजपेई ने संचालन करते हुए पढ़ा हिंदी हमारी आन है बान है शान है। हमारा गौरव है स्वाभिमान है। हिंदी हमारा मान है सम्मान है । हिंदी केवल भाषा नहीं है,ये पूरा हिंदुस्तान है। डा.नरेश सागर ने पढ़ा भूख की बात करके वो, रोटीयां छीन लेते हैं। वो अपनी हार के डर से, गोटियां छीन लेते हैं। डा. राम गोपाल भारतीय ने पढ़ा, रोज फोन पर सारे घर की खोज खबर लेती हो, अपनी भी तो बताओ बिटिया तुम कैसी हो। डा. पुष्पा गर्ग ने पढ़ा हिंदी भावों और विचारों का सार है, हिंदी स्वर और व्यंजनों का आधार है। हिंदी लोगों के मध्य संवाद की भाषा है, पर हिंदी हिंदुस्तान का स्वाभिमान और प्यार है। चंद्र शेखर मयूर ने पढ़ा अपनी मुस्कान से खुशबू बिखेर देती है, हमारे चेहरों पे खुशियां उकेर देती है, चांद सूरज भी हमें घर में नजर आते हैं, दीप ममता का मां जब भी उजेर देती है।
इस मौके पर डा. पूनम ग्रोवर, तरुण ने भी काव्यपाठ कर लोगो की तालियां अर्जित की। कवि सम्मेलन के अंत में डा.आराधना बाजपेई ने सभी का आभार व्यक्त किया।