भारतवर्ष में 70% जनसंख्या युवाओं की है। किन्तु आज का शिक्षित युवक अपनी प्राचीन संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान व उपलब्धियों से अनभिज्ञ है। उसमें साहस व आत्मविश्वास की कमी है। आज के वैज्ञानिक और तकनीकी युग में भारतीय संस्कारों को मजबूत बनाया जाए। इस दृष्टि से प्रयास है कि उच्च शिक्षित युवा वर्ग एवं युवा डॉक्टर, इंजीनियर, वकील इत्यादि परिषद् के सम्पर्क में आयें, इसकी विचारधारा को समझें एवं इससे जुड़ें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विश्वविद्यालयों, कॉलेजों एवं प्रोफेशनल शिक्षा संस्थाओं में ‘सेमिनारों’ का आयोजन किया जाता है।

सेमिनार का आयोजन
1. उद्देश्य – इन संगोष्ठियों के दो उद्देश्य हैं-
(अ) युवा मस्तिष्क में यह स्थापित करना कि आप भारतीय हैं अतः उन सौभाग्यशाली लोगों में हैं जिन्होंने भारत भूमि पर जन्म लिया उनका लालन-पालन यहीं हुआ।
(ब) समाज के बुद्धिजीवी वर्ग एवं शिक्षित युवाओं में भारतीय संस्कारों को सुदृढ़ करते हैं।

2. लक्ष्य (Target)
(अ) विश्वविद्यालय एवं कॉलेज के युवा छात्र-स्नातक, परास्नातक, शोधार्थी, व्यावसायिक पाठ्क्रमों के छात्र, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कम्प्यूटर, व्यवसाय एवं विधि के छात्र तथा अन्य ऐसे लोग।
(ब) समाज के बुद्धिजीवी-अध्यापक, अधिवक्ता, डॉक्टर, इंजीनियर, पत्रकार, लेखक, चार्टड एकाउण्टेट, कलाकार तथा समाज के ऐसे ही अन्य इस वर्ग के लोग।

3. सेमिनार के विषय
संगोष्ठी का विषय श्रोता की रूचि के अनुसार तय किया जाता है। विश्वविद्यालयों के छात्र एवं बुद्धिजीवी वर्ग के लिए सेमिनार में अर्थ व्यवस्था, प्रबन्धन, विज्ञान और तकनीकी, खेल, राजनीतिक एवं सामाजिक समस्याओं तथा राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय विषय रखे जाते हैं। युवा मस्तिष्क को नैतिकता से परिपूर्ण संगोष्ठी अधिक प्रभावित करती हैं। इसलिए इन सेमिनारों के विषय हमारे सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों के अनुकूल होते हैं।

सेमिनारों में प्रायः जो विषय लिये जाते हैं उनमें निम्न प्रमुख हैं : 
>प्रदूषण
>शैक्षणिक सुधार|
>राजनीति का अपराधीकरण
>वैश्वीकरण और भारत
>हमारे युवा हमारी धरोहर
>भारतीय चुनाव व्यवस्था की कमियाँ एवं इसमें सुधार आदि।

प्रति वर्ष परिषद् की शाखायें व प्रान्त लगभग 300 सेमिनारों का आयोजन करते हैं