Rashtriya Chetna Ke Swar - राष्ट्रीय चेतना के स्वर

देववाणी-गीतम्


गेहे गेहे संस्कृतभाषा भवतात् पुनरपि वाणी।
राष्ट्रकुलानां धर्मधराणां ज्ञानवतां कल्याणी॥

दिव्यगीताया: इमं सन्देशसारं श्रूयताम्।
कर्मभोगो निश्चित: सत्कर्मणा पथि गम्यताम्॥
गेहे गेहे————॥ १॥

दिव्यभारतवर्षमेतत् लोककल्याणे रतम्।
धर्ममोक्षार्थाभिकामानां प्रयासे प्रेरितम्॥
गेहे गेहे————॥ २॥

भ्रातृभावो दृष्यतामिह भारतीये जीवने।
सन्तु सर्वे प्राणिन: सुखिन: सदा संवर्धने॥
गेहे गेहे————-॥ ३॥

हिन्दुदेशे वीरपुत्रै: पुण्यपुरूषैर्भूयताम्।
न्याय-करूणा-प्रेम-समता-सत्कथासंगीयताम्॥
गेहे गेहे————–॥ ४॥

-आचार्य राधाकृष्ण मनोड़ी