Rashtriya Chetna Ke Swar - राष्ट्रीय चेतना के स्वर

जिसने मरना सीख लिया है


जिसने मरना सीख लिया है, जीने का अधिकार उसी को,
जो कांटो के पथ पर आया, फूलों का उपहार उसी को।

जिसने गीत सजाये अपने, तलवारों के झन-झन स्वर पर,
जिसने विप्लव राग अलापे, रिम-झिम गोली के वर्षण पर,
जो बलिदानों का प्रेमी है, जगती का है प्यार उसी को।। 1।।

हँस-हँस कर इक मस्ती लेकर, जिसने सीखा है बली होना,
अपनी पीड़ा पर मुस्काना, औरों के कष्टों पर रोना,
जिसने सहना सीख लिया है, संकट है त्यौहार उसी को।। 2।।

दुर्गमता लख बीहड़ पथ की, जो न कभी भी रुका कहीं पर,
अनगिनती आघात सहे पर, जो न कभी भी झुका कहीं पर,
झुका रहा है मस्तक अपना, यह सारा संसार उसी को।। 3।।