Rashtriya Chetna Ke Swar - राष्ट्रीय चेतना के स्वर
हम करें राष्ट्र आराधन
हम करें राष्ट्र-आराधन, हम करें राष्ट्र-आराधन, तन से, मन से, धन से, तन-मन-धन जीवन से हम करें राष्ट्र आराधन।।
अंतर से मुख से कृति से, निश्चल हो निर्मल मति से, श्रद्धा से मस्तक नत से, हम करें राष्ट्र अभिवादन।। 1।।
अपने हँसते शैशव से, अपने खिलते यौवन से, प्रौढ़तापूर्ण जीवन से, हम करें राष्ट्र का अर्चन।। 2।।
अपने अतीत को पढ़कर, अपना इतिहास उलटकर, अपना भवितव्य समझकर, हम करें राष्ट्र का चिंतन।। 3।।
हमने ही उसे दिया था, सांस्कृतिक उच्च सिंहासन, माँ जिस पर बैठी सुख से, करती थी जग का शासन, अब कालचक्र की गति से, वह टूट गया सिंहासन अपना तन-मन-धन देकर हम करें पुनः संस्थापन।। 4।।